यदि आप प्लास्टिक बोतल में बंद मिलने
वाले मिनरल वाटर के आदी है, और यदि आप इस वाटर के बारे में सोचते है कि बोतल बंद ये वाटर
मिनरल युक्त और सुरक्षित है तो आप बिल्कुल गलत सोचते हैं। आपको इसी भ्रम से
निकालने के लिए स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूर्याक के वैज्ञानिकों ने दुनियाभर के
मशहूर बोतलबंद पानी पर रिसर्च कर के आश्चर्यचकित करने वाले खुलासे किए हें।
वैज्ञानिकों
ने चाइना, ब्राजील, इंडोनेशियां,
यूएस समेत 9
देशों में बेची जाने वाली 11 अलग अलग ब्रांड की करीब 259 पै केज्ड
बोतल की जांच की हैं। इस रिसर्च में उन्होंने पाया है कि भारत समेत दुनियाभर में
मिलने वाले मशहूर पैकेज्ड मिनरल पानी में 93% तक प्लास्टिक के छोटे छोटे कण
शामिल हैं। भारत में ये पैकेज्ड पानी के सैम्पल मुंबई, दिल्ली
और चेन्नई समेत 19 स्थानों में से मंगवाई गई थी। आइए जानते है कि इन बोतलबंद
पानी का एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ सकता हैं। इन ब्रांड के
लिए गए सैम्पल इनमें टॉप ग्लोबल ब्रांड एक्वाफिना, ईवयिन
( फ्रांस का मशहूर ब्रांड जिसका पानी किक्रेटर विराट कोहली भी पीते हैं।) और
इंडियन ब्रांड बिसलेरी भी शामिल था। रिसर्च टीम ने रिसर्च में मिले डेटा के जरिए
बताया है कि चेन्नई से लिए गए बिसलेरी ब्रांड के सैम्पल से एक लीटर पानी में 5
हजार माइक्रोप्लास्टिक कण मिले हैं। 54 फीसदी मिला पॉलीप्रोपलीन पैकेज्ड
वाटर की कंपनियां साफ-सफाई और पानी की गुणवत्ता को लेकर कई दावे करती हैं लेकिन
इस रिसर्च के परिणाम सामने आने के बाद, इन कंपनीज की गुणवत्ता पर सवाल खड़े
उठ गए हैं। बोतल का ढक्कन बनाने के लिए कंपनियां पॉलीप्रोपलीन का उपयोग करती हैं।
यह पदार्थ पानी में 54 फीसदी तक पाया गया है। दूसरे नंबर पर है नाइलॉन जो 16
फीसदी तक पाया गया है। कौन रखे निगरानी? हालांकि भारत में दिनों दिन
पैकेज्ड पानी का बाजार फलता फूलता जा रहा है। मेट्रो शहर से लेकर कस्बों तक में
अनगित मशहूर से लेकर छोटे ब्रांड के पैकेज्ड बोतल धड़ल्ले से बिकते हैं। लेकिन
इन ब्रांड की गुणवत्ता पर निगरानी न के बराबर होती हैं। बोटलिंग यूनिट के गुणवत्ता
की जांच का काम राज्य और केंद्र एजेंसी की होती है जिसमें ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड
और फूड और ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए ) प्रमुख हैं। डब्लूएचओ ने लिया
संज्ञान.. दुनिया भर में इस स्टडी के नतीजों सामने आने के बाद, मामले
को ढील न देते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने भी इस
रिसर्च का रिव्यू करवाने की बात की है। जब तक हम जानते है कि बोतल बंद पानी से क्या
कुछ समस्या हो सकती हैं।
कैंसर
प्लास्टिक के बोतल का पानी कैंसर
की वजह हो सकता है। प्लास्टिक की बोतल जब धूप या ज्यादा तापमान की वजह से गर्म
होती है तो प्लास्टिक में मौजूद नुकसानदेह केमिकल डाइऑक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता
है। ये डाईऑक्सिन पानी में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचता है। डाइऑक्सिन हमारे शरीर
में मौजूद कोशिकाओं पर बुरा असर डालता है। इसकी वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर
का खतरा बढ़ जाता है
दिमाग भी होता है प्रभावित
प्लासिटक की बोतल में पाए जाने
वाले केमिकल्स के वजह से दिमाग के कार्यकलाप प्रभावित होते हैं। इसके कारण इंसान
की समझने और याद रखने की शक्ति कम होने लगती है।
कब्ज और पेट में गैस
दरअसल प्लास्टिक की बोतल को
बनाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले बाइसफेनोल ए के कारण पेट पर भी बुरा असर पड़ता
है। बीपीए नामक रसायन जब पेट में पहुंचता है तब इसके कारण पाचन क्रिया भी प्रभावित
होती है। इससे खाना भी अच्छे से नहीं पचता और का खतरा वे महिलाएं जिन्हें प्रेगनेंट होने में
परेशानी उठानी पड़ी है या जिनका पहले भी एक बार मिसकैरेज हो चुका है उन्हें प्लास्टिक
की बोतल से ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिये। यह पुरुषों में स्पर्म काउंट भी कम
करता है।
जन्म दोष
बोतल को बनाने वाला कैमिकल भ्रूण में गुणसूत्र असामान्यताएं पैदा कर सकता है
जिससे बच्चे में जन्म दोष हो सकता है। अगर बोतल के पानी का नियमित सेवन गर्भावस्था
में किया गया तो पैदा होने वाले शिशु को आगे चल कर प्रोस्ट्रेट कैंसर या ब्रेस्ट
कैंसर तक हो सकता है।और अधिक जानकारी के लिए इसे भी पढ़े:
कोल्ड्रिंक... हो सकते हैं ये गंभीर नुकसानआईये जानिए पानी के महत्व
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